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Showing posts from July, 2018

अध्याय ११

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उन दिनों मुंबई का अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, खास कर रात के प्रहर में, भयानक रूप से अव्यवस्थित और अस्तव्यस्त हो जाता था. एकदम से बहुत बड़ी संख्या में यात्रियों और उनको विदा करनेवालों का ता ँ ता लग जाता था. इसका कारण यह था कि ढेर सारी महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय उड़ाने रात के अजीब और अनुचित काल में प्रस्थान करती थीं. शान का विमान रात के ११.३० बजे प्रस्थान करने वाला था. देर रात की उड़ानों के मुकाबले में ११.३० का समय बहुत बुरा नहीं कहा जा सकता. मुंबई हवाई अड्डे पर उमड़े मानवता के महासागर को पार करने में, विभिन्न सुरक्षा जाँचों से गुजरने में, ऐसी ही और भी अनेक मानव निर्मित दफ्तरशाही प्रक्रियाओं से निपटने में तकरीबन दो तीन घंटे आसानी से खर्च हो जाते हैं. इसलिए आपकी उड़ान के प्रस्थान के समय से तीन घंटे पहले हवाई अड्डे पर पहुँचना जरूरी है. शान वहाँ ८.३० बजे हाजिर था. मुंबई एयरपोर्ट के प्रवेशद्वारों पर लगी लम्बी कतारें किसी भी आम आदमी को निरुत्साही बनाकर उसे उसकी यात्रा की योजनाओं को रद्द करने का कारण बन सकती थी. पर शान एक बहादुर किस्म का नौजवान था. वह लम्बी कतारों से डरने वालो

अध्याय १०

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शान ने अब अपने व्यावसायिक जीवन और कैरियर पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया था. उसने मेधावी को भूल जाने का फैसला भी कर लिया था. मेधावी को भुला पाना उसके लिये आसान नहीं था. पर बीतता हुआ समय मरहम जैसा काम करता है. उसने यह सोच कर अपने दुखते दिल को समझाने की कोशिश की, “मैं एक काल्पनिक छवि से प्यार करता रहा और मेधावी उस कल्पना पर खरी नहीं उतरी. उसे भूल जाना ही ठीक है.” जब शान ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की उन दिनों सम्पूर्ण विश्व में इंटरनेट और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की लहर फैल चुकी थी. यही शान की खूबी भी थी. वह इन क्षेत्रों में अति-प्रवीण था. उसने उसकी अपनी सॉफ्टवेयर की कंपनी खोल ली. नाम था ‘सॉफ्ट एक्ट’. उसने अपने देश में नौकरियाँ पाने के लिए और इंटरव्यूज देने का ख्याल बिलकुल छोड़ दिया. वह बिना धर्म वाला क्यों हो गया इस बात को जॉब देने वाली कंपनियों को समझाने के लिये न तो उसके पास रुझान था और न ही वक्त. इस दौरान अमेरिकन इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी संस्थाएँ ऐसी सहयोगी संस्थाओं की तलाश में थी जो उन्हें कम से कम कीमत में अच्छे से अच्छा सॉफ्टवेयर बना कर दे सके ं . विश्व के स