अध्याय १०
शान
ने अब अपने व्यावसायिक जीवन और कैरियर पर अपना ध्यान केंद्रित कर लिया था. उसने मेधावी
को भूल जाने का फैसला भी कर लिया था. मेधावी को भुला पाना उसके लिये आसान नहीं था.
पर बीतता हुआ समय मरहम जैसा काम करता है. उसने यह सोच कर अपने दुखते दिल को समझाने
की कोशिश की, “मैं एक काल्पनिक छवि से प्यार करता रहा और मेधावी उस कल्पना पर खरी नहीं
उतरी. उसे भूल जाना ही ठीक है.”
जब
शान ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की उन दिनों सम्पूर्ण विश्व में इंटरनेट
और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की लहर फैल चुकी थी. यही शान की खूबी भी थी. वह इन क्षेत्रों
में अति-प्रवीण था.
उसने
उसकी अपनी सॉफ्टवेयर की कंपनी खोल ली. नाम था ‘सॉफ्ट एक्ट’. उसने अपने देश में नौकरियाँ
पाने के लिए और इंटरव्यूज देने का ख्याल बिलकुल छोड़ दिया. वह बिना धर्म वाला क्यों
हो गया इस बात को जॉब देने वाली कंपनियों को समझाने के लिये न तो उसके पास रुझान था
और न ही वक्त.
इस
दौरान अमेरिकन इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी संस्थाएँ ऐसी सहयोगी संस्थाओं की तलाश में थी
जो उन्हें कम से कम कीमत में अच्छे से अच्छा सॉफ्टवेयर बना कर दे सकें. विश्व के समस्त देशों में उनकी खोज
जारी थी. वे ऐसे देशों की शिनाख्त में थे जहाँ प्रतिभा और कौशल काफी तादाद में हो.
इसके साथ उनकी एक और शर्त थी कि ऐसे प्रतिभावान और कुशल विशेषज्ञों की अंग्रेजी भाषा
पर बहुत अच्छी पकड़ हो. उनकी व्यापक और गहरी खोज के बाद उनका ध्यान भारत की ओर केंद्रित
हुआ. उनकी निगाहों में हिंदुस्तान ही विश्व के उन बिरले देशों में एक ऐसा देश था जो
ऐसी भीषण शर्तों पर खरा उतर पाया. यहाँ प्रतिभा की भरमार थी और हरेक प्रतिभाशाली व्यक्ति
अंग्रेजी भाषा बोल और लिख सकता था. इसके अतिरिक्त हिंदुस्तानी संस्थाएँ और विशेषज्ञ
कम दामों पर इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी की प्रवीणता और सेवाएँ देने में सक्षम थे.
अमेरिकन
कंपनियों की इस सोच में शान की कंपनी ‘सॉफ्ट एक्ट’ एक सशक्त अवसर देख रही थी. उसने
ऐसी अमेरिकन कंपनियों को तलाशना शुरू कर दिया जिनके साथ उसका अच्छा व्यावसायिक गठजोड़
संभव हो सकता था.
इसी
चक्कर में शान का केली से संपर्क हुआ. इस दौरान अमेरिका की ‘सुपर सॉफ्ट टेक्नोलॉजीज’
भारत में एक अच्छे आउटसोर्सिंग पार्टनर की तलाश में थी. उसने भारत की कुछ कंपनियों
का चयन कर लिया था. उन थोड़ी सी कंपनियों में शान की ‘सॉफ्ट एक्ट’ का नाम भी था.
केली
‘सुपर सॉफ्ट टेक्नोलॉजीज’ के उस प्रोजेक्ट की इंचार्ज थी जिसके लिये आउटसोर्सिंग पार्टनर
खोजा जा रहा था. इसी सन्दर्भ में केली और शान एक दूसरे के साथ शुरुवाती बातचीत और पत्र-व्यवहार
कर रहे थे.
अब
केली ने शान को एक ईमेल लिखी, “हेलो शान, अगले सोमवार तुम्हारी रात को १० बजे यदि हम
टेलीकांफ्रेंसिंग करें तो कैसा रहेगा?”
टेलीकांफ्रेंसिंग
के इस आमंत्रण से शान खुश हुआ. असल में वह केली से इस आशय की ईमेल की आशा कर ही रहा
था. उसने तुरंत उत्तर लिखा, “हेलो केली, मेरे लिये यह ठीक है.”
वह
उत्कटता से आने वाले सोमवार की रात १० का इंतज़ार करने लगा.
सोमवार
की रात १० बजे शान के फ़ोन की घंटी बजी. उसने फ़ोन उठाया और अभिवादन करते हुए कहा, “आप
केली हैं न?”
“हाँ
शान. क्या हम काम की बातें शुरू करें?”
“अवश्य,”
शान ने जवाब दिया.
फिर
उन दोनों ने बहुत देर तक व्यवसाय सम्बन्धी चर्चा की. करीब चालीस मिनट बीत गये.
टेलीकांफ्रेंसिंग
के दौरान जब सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत हो चुकी तब शान ने केली से पूछा, “क्या
आप और कुछ जानना चाहेंगी? जैसे, मेरी वैयक्तिक जानकारी और ज्यादा विस्तार में?”
“नहीं
शान. आपने आपकी और आपकी संस्था की सारी जानकारी दे तो दी है. मैं अब आपका व्यावसायिक
बैकग्राउंड जान गई हूँ. मुझे आपके तकनीकी और कारोबार सम्बन्धी गुणों और कौशल्य
का भी अंदाज़ हो गया है. मुझे लगता है कि इतनी जानकारी पर्याप्त है. मेरे पास आपकी पूरी
तस्वीर है. धन्यवाद. बाय शान.”
“धन्यवाद,
केली. बाय.”
टेलीकांफ्रेंसिंग
की समाप्ति के बाद शान को इस एहसास से सुखद धक्का लगा कि केली सही मायने में उसके वैयक्तिक
जीवन की तहक़ीक़ात नहीं करना चाहती थी. यह अनुभव उसके भारत में दिए गए सारे इंटरव्यूज
के अनुभवों से एकदम भिन्न था. हिंदुस्तान का हरेक इंटरव्यू लेने वाला इंटरव्यू देने
वाले की निजी जानकारी पाने में दिलचस्पी लेता था. कुछ लोग ऐसा धड़ल्ले से जाहिरी तौर
पर करते थे और कुछ लोग अप्रत्यक्ष रूप से. पर दिलचस्पी जरूर दिखाते थे. शान का अनाथ
होना, बाद में अनाथाश्रम से एक ऐसी दंपत्ति द्वारा गोद लिया जाना जिनमे पति और पत्नी
के धर्म अलग अलग था शान के पक्ष में नहीं जाता था. और ऊपर से उसका हमेशा यह बताना कि
वह किसी धर्म से जुड़ा नहीं है बनती बात को बिगाड़ देता था. यह सब उसके व्यावसायिक और
व्यापार सम्बन्धी सौदों में भी होता था. प्रायः इन वजहों से उसे उसके बिज़नेस का विस्तार
करने में दिक्कतें आ रही थी. पहले ये सब उसके साथ उसके कॉलेज के दिनों में होता था.
एक
सप्ताह बाद शान को केली ने भेजी ईमेल मिली. उसके जरिये उसने शान को उससे मीटिंग करने
का औपचारिक निमंत्रण दिया. ईमेल में मीटिंग से सम्बंधित विस्तृत जानकारी दी थी. मीटिंग
केली के दफ्तर में होने वाली थी. उसका दफ्तर अमेरिका की विश्व-प्रसिद्ध सिलिकॉन वैली
के सैन होज़े शहर में था.
अमेरिका
की यात्रा करने की शान की ख्वाहिश नई नहीं थी. उसने वहाँ जाने के सपने काफी दिनों से
संजोए रखे थे. खास करके वहाँ वह उन सभी महान जगहों पर जाना चाहता था जो सारी दुनिया
के लिये इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी के प्रकाशस्तम्भ बन चुके थे. शान की राय में सैन होज़े
एक ऐसी ही जगह थी.
शान
की सेक्रेटरी ने सैन होज़े से सम्बंधित सारी जानकारी इकठ्ठा की और शान को पेश की.
सैन
होज़े अमेरिका के पश्चिमी समुद्र-तट पर बसा सिलिकॉन वैली का सबसे बड़ा शहर है. यह अमेरिका
के कैलिफ़ोर्निया प्रदेश के लॉस एंजेलिस और सैन डिएगो शहरों के बाद तीसरे क्रमांक का
शहर है. सम्पूर्ण अमेरिका में दसवे क्रमांक पर. यह सही अर्थ में एक वैश्विक शहर है
क्योंकि यह सभी देशों के लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है. जो लोग यहाँ आते हैं वे
सभी एक दूसरे के साथ मेल-मिलाप से रहते हैं.
सैन
होज़े को सिलिकॉन वैली नाम इसलिए मिला क्योंकि यह बहुत सारी इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी,
कंप्यूटर और माइक्रोप्रोसेसर और उच्चतम तकनीक व इंजिनीरिंग से जुडी कंपनियों का केंद्र
है.
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Perfect Gift to Self and Others
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7. Management Universe: https://management-universe.blogspot.com
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