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Showing posts from August, 2018

अध्याय १८

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एक छुट्टी के दिन शान और केली एक साथ थे और गप-शप कर रहे थे. बातों के बीच केली शान के इतने करीब आ कर बैठ गई कि उसका शरीर शान के शरीर से छू गया. इसका अहसास दोनों को हो रहा था. शायद सुखद अहसास!   केली ने   कहा, "मैं आज अलग मूड में हूँ. मुझे तुम्हारे साथ नज़दीकियाँ बनाना चाहती हूँ. क्या तुम मुझे एक बहुत ही महत्वपूर्ण और व्यक्तिगत सवाल का जवाब दोगे जिसे मैं अब पूछने जा रही हूँ?” "पूछो. कोई बात नहीं. मैं जवाब देने की कोशिश करूँगा,” शान मुस्कराते हुए बोला. "लेकिन तुम्हे खुलकर जवाब देना होगा. छुपाना कुछ भी नहीं. यदि मंजूर है तो ही बताना. पर जो बताना सच-सच बताना.” "तुम्हे पता है कि मैं हमेशा सच बोलता हूँ. "वह मुझे पता है. लेकिन मेरा प्रश्न काफी नाजुक है. और यही कारण है इतनी सारी लम्बी-चौड़ी प्रस्तावना का.” “केली, अब कृपा करके बोलो भी. प्रस्तावना को गोली मारो और सीधे मुद्दे पर आ जाओ. तुम्हारी पहेली मुझे हैरान कर रही है. कृपया जल्दी करो और अपना प्रश्न पूछो." "शान, इतना मुझे पता है कि तुम शादीशुदा आदमी नहीं हो. लेकिन मैं यह पूछना

अध्याय १७

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केली ने एक बार कहा, "शान, दुनिया एक वैश्विक गाँव जैसी बन रही है. ऐसे वातावरण में जब व्यापार, व्यवसाय और पैसे कमाने की बात आती है तब लोग एक-दूसरे के करीब आते दिखते हैं. लेकिन सामाजिक रूप से लोग उतने ही पिछड़े हुए हैं जितने कि वे सैकड़ों वर्ष पहले थे." "हां केली, अभी भी ज्यादातर लोग अपनी अपनी नस्ल, रंग, धर्म, जाति, उप-जाति आदि के लोगों से ही सामाजिक संपर्क बनाना और रखना पसंद करते हैं. हम यह भी झुठला नहीं सकते कि इन विचारों और भेदभावों से व्यावसायिक और राजनीतिक क्षेत्र भी एकदम अछूते नहीं हैं.” "तुम्हारे और मेरे माता-पिता इन मामलों के अति-अल्पसंख्यक कहे जा सकते हैं.” "हमारे माता-पिता सभी विचारों, सामाजिक मान्यताओं और विरोधों के बावजूद एक हो गए क्योंकि वे केवल एक ही चीज़ से संतुष्ट थे और वह थी एक दूसरे में नीहित मानवीय अच्छाइयाँ. उन्होंने सिर्फ एक दूसरे की अच्छाइयों को परखा और एक दूसरे को अपना लिया. और अच्छाइयाँ हर किसी में हो सकती हैं.” "शान, तुमने सही कहा. यदि दो अच्छे व्यक्ति एक दूसरे को चाहते हैं तो वे एक दूसरे के करीब आ सकते है