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Showing posts from September, 2018

अध्याय २५

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जापान में एक संक्षिप्त कार्यकाल के बाद मेधावी अमेरिका वापस आ गई. सैन डिएगो में स्थित उसकी कंपनी के मुख्यालय ने उसे वापस बुलाया और उसकी जगह किसी और को जापान भेज   दिया. मेधावी ने संस्कार के अपार्टमेंट को छोड़ दिया और खुद के लिए एक छोटा अपार्टमेंट किराए पर ले लिया. सैन डिएगो पहुँचने पर अपनी पहली लंबी छुट्टियों में वह सैन होज़े गई. वहाँ उसने केली और शान से उनके घर में मुलाक़ात की. इस बीच केली और शान ने शादी कर ली थी. उन्होंने उनकी शादी की तस्वीरों को उनके लैपटॉप पर मेधावी को दिखाया. केली ने बताया, "यह बहुत छोटे पैमाने वाली शादी थी. सिर्फ निजी सम्बन्धी ही शादी में शरीक हुए थे. हम दोनों के अलावा, एलिस और यूसुफ, और यिन और अरुण.” "तुम सभी लोग तस्वीरों में बहुत अच्छे लग रहे हो, खास करके तुम दोनों. और हाँ, इससे पहले कि मैं भूल जाऊँ, कृपया मुझे तुम 'ह्यूमैनिटी फोरम' में भर्ती कर लो.” "तुम ऐसा करने की क्यों सोच रही हो? तुम्हारे विचार शायद 'ह्यूमैनिटी फोरम' की धारणाओं से मेल न खाते हों. तुम्हे इसका अंदेशा होगा ही.” केली ने अपना संदे

अध्याय २४

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मेधावी आज बहुत बेहतर महसूस कर रही थी. वह यूँ ही बिस्तर पर करवटें बदल रही थी और शिविर से छुट्टी मिलने का इंतज़ार कर रही थी. जिस काम के लिये उसे जापान में नियुक्त किया गया था उस काम को फिर से शुरू करने के लिये वह काफी उत्सुक थी. सुनामी के बाद हर एक व्यक्ति सुनामी से प्रभावित हुआ था और लोग धीरे-धीरे उस सदमे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे. उनमे से मेधावी भी एक थीं. डॉक्टर ने सुबह का राउंड पूरा कर लिया था. वह जल्द ही अपना निर्णय घोषित करेगा कि किन-किन लोगों को आज शिविर से छुट्टी मिल जाएगी. हर दिन कुछ लोगों को छुट्टी दी जाती थी और इलाज के लिए नए सुनामी प्रभावित मरीज़ भर्ती होते थे. मेधावी के दिमाग में हाल में होने वाली कई घटनाएँ घूम रही थीं. उसने उन पर विचार करना शुरू कर दिया. अचानक उसके विचार केली पर आकर रुक गए. उसने याद करने की कोशिश की कि पहली बार उसने केली का नाम कब सुना था? उसने खुद से पूछा, "क्या वह उन लेखों में था जिनमे मैंने 'ह्यूमैनिटी फोरम’ के बारे में पढ़ा था? जिनमे शान का उल्लेख किया गया था और केली का भी? नहीं, शायद उससे पहले भी कहीं मैंने केली का

अध्याय २३

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अगले दिन शान सुबह बहुत जल्दी उठ गया और उस दिन के बचाव अभियान पर केली के साथ बाहर निकलने से पहले वह मेधावी से मिलने गया. जिस वक्त शान जाग गया था लगभग उसी वक्त केली भी जाग गई थी. लेकिन वह बिस्तर पर अलसाई सी लेटी रही.   वह यह जानने को उत्सुक हो गई कि शान क्या कर रहा है. उसने देखा कि शान शिविर की दिशा में चल पड़ा था. केली उसके पीछे-पीछे हो ली. उसका अंदाज़ था कि शान मेधावी से मिलना चाहता है. वह शान से प्यार करती थी. इसलिये वह मेधावी और शान के बीच के संबंधों को समझना चाहती थी. शान मेधावी के बिस्तर तक पहुँचा और उसके पास बैठ गया. उसने मुस्कुराकर मेधावी से पूछा, “इस सुबह तुम कैसी हो, मेधावी?" "मैं अच्छी हूँ. मैं कल तुम्हे ठीक से धन्यवाद नहीं दे सकी.” “किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं है. क्या हम पुराने दोस्त नहीं हैं? दोस्तों के बीच औपचारिकताओं की कोई जगह नहीं होती.” मेधावी को खुद पर शर्मिंदगी महसूस हो रही थी. उसकी आँखों में आँसू थे. वह धीरे से बोली, "मुझे खेद है शान. मै तुम्हे समझ नही पाई. मैंने हाल ही में कुछ-कुछ समझना शुरू कर दिया है. तुम मुझे बत