अध्याय १८

एक छुट्टी के दिन शान और केली एक साथ थे और गप-शप कर रहे थे. बातों के बीच केली शान के इतने करीब आ कर बैठ गई कि उसका शरीर शान के शरीर से छू गया. इसका अहसास दोनों को हो रहा था. शायद सुखद अहसास!  केली ने  कहा, "मैं आज अलग मूड में हूँ. मुझे तुम्हारे साथ नज़दीकियाँ बनाना चाहती हूँ. क्या तुम मुझे एक बहुत ही महत्वपूर्ण और व्यक्तिगत सवाल का जवाब दोगे जिसे मैं अब पूछने जा रही हूँ?”

"पूछो. कोई बात नहीं. मैं जवाब देने की कोशिश करूँगा,” शान मुस्कराते हुए बोला.

"लेकिन तुम्हे खुलकर जवाब देना होगा. छुपाना कुछ भी नहीं. यदि मंजूर है तो ही बताना. पर जो बताना सच-सच बताना.”

"तुम्हे पता है कि मैं हमेशा सच बोलता हूँ.

"वह मुझे पता है. लेकिन मेरा प्रश्न काफी नाजुक है. और यही कारण है इतनी सारी लम्बी-चौड़ी प्रस्तावना का.”

“केली, अब कृपा करके बोलो भी. प्रस्तावना को गोली मारो और सीधे मुद्दे पर आ जाओ. तुम्हारी पहेली मुझे हैरान कर रही है. कृपया जल्दी करो और अपना प्रश्न पूछो."

"शान, इतना मुझे पता है कि तुम शादीशुदा आदमी नहीं हो. लेकिन मैं यह पूछना चाहती हूँ कि कोई लड़की तुम्हारी गर्ल-फ्रेंड तो नहीं है?” यह सवाल करते-करते केली बहुत बेचैन और बेताब हो गई थी. उसे नहीं पता था कि शान का जवाब क्या होगा.

"नहीं, मेरी कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं है.”

"क्या तुम पहले किसी लड़की से प्यार करते थे?"

“हाँ और नहीं.”

"शान, यही कारण है कि मैंने तुमसे सच बोलने का वादा करवा लिया था. फिर भी मैं देख रही हूँ कि तुम मेरे सवाल का जवाब देने में टालमटोल कर रहे हो. सीधा जवाब देना हो तो दो नहीं तो भूल जाओ. बस, अब जवाब मत दो.”

"मैं बिल्कुल सच कह रहा हूँ. मैंने एक लड़की से एक बार बहुत प्यार किया था. लेकिन एक लंबे अरसे से मैंने उस लड़की से प्यार करना बंद कर दिया है. उसके लिए अब मेरे दिल और दिमाग में कोई जगह नहीं है.”

"वह भाग्यशाली लड़की कौन थी जिसे तुम बहुत प्यार करते थे और अब वह इतनी दुर्भाग्यपूर्ण क्यों है कि तुम उसे बिल्कुल प्यार नहीं करते? ये कैसे संभव है? क्या ऐसा करना इतना आसान है?”

"केली, मैं तुमको सब कुछ बता दूंगा. पर सबसे पहले हम गर्म कॉफी के लिये आर्डर दें देतें हैं. यह एक छोटी सी, लम्बी सी कहानी है. मुझे इसे तुम्हे एक कप कॉफी पर बताना होगा.”

उन्होंने दोनों के बीच एक कॉफी-पॉट का आर्डर दिया. केली अभी भी शान के बहुत करीब बैठी थीं. अब वह शान के और करीब आई और उससे एकदम चिपक गई. शान ने महसूस किया कि केली का उसके प्रति आज का व्यवहार दूसरे दिनों के व्यवहार से काफी हट के था. फिर भी केली और उसके बीच जो कुछ भी हो रहा था वह उसे वह पसंद आया.

कॉफी आई और शान ने अपनी पूरी कहानी बताना शुरू कर दिया. उसने केली को बताया कि वह कॉलेज के गलियारे में मेधावी से कैसे टकराया और इस तरह उनकी पहली मुलाकात हुई. और तुरंत ही उससे प्यार हो गया. उसने केली को मेधावी और खुद के बीच हुई सारी घटनाओं के बारे में बताया.

केली ने पूरी कहानी शान को बिना रोके-टोके सुनी. कहानी का अंत सुनते-सुनते वह बहुत भावुक हो गई. उसका दिल शान पर आ गया. उसने भावनावश शान के होंठों को चूम लिया. उसे खुद निश्चित रूप से पता नहीं चला कि उसने ऐसा क्यों किया. वह उस क्षण मिश्रित भावनाओं से घिरी हुई थी. ऐसी मनःस्थिति में शान का चुंबन लेना उसे उसकी दृष्टि में प्राकृतिक लगा. उसने कहा, "मुझे और आगे मत बताओ. मैं और नहीं सुन पाऊंगी. मै रो पड़ूँगी.”

फिर एक शब्द भी न बोलने हुए वे एक-दूसरे के साथ हाथों में हाथ लिये देर तक बैठे रहे.

बाद में वे एक-दूसरे का हाथ पकडे हुए ही केली के घर चले गए. दोनों में से किसी ने भी एक दूसरे के साथ बात नहीं की. इस स्थिति में मौन रखना दोनों को उपयुक्त लगा. केली को उसके घर के दरवाजे तक छोड़कर शान अपने अपार्टमेंट चला गया.

अपने मन में दबी हुई भावनाओं को केली के सामने रखकर शान को हल्कापन महसूस हुआ.

केली शान की कहानी सुनकर दुखी जरूर हुई पर उससे ज्यादा उसे संतुष्ट होने का एहसास भी हुआ.  परन्तु इसका कारण उसे पता नहीं चल रहा था.

......................

मेधावी ऑफिस से घर आई. उस वक्त संस्कार घर में ही था.

उसने आम तौर पर जैसे पूछते हैं, उसी तरह से पूछ लिया, “अरे, तुम्हे घर पहुँचने में देर हो गई? आज ज्यादा काम था क्या?”

"नहीं, रोज जैसा. लेकिन आज बॉस ने मुझे थोड़ी देर तक रुकने का अनुरोध किया. उसका पूरा दिन किसी न किसी मीटिंग में चला गया. उसने कहा कि उसका आज मुझसे मिलना भी उतना ही जरूरी है. इसीलिये मैं रुक गई.”

"क्या वाकई में कोई महत्वपूर्ण बात थी?”

"हाँ. हमारी कंपनी जापान में एक नया प्रोजेक्ट शुरू कर रही है. मेरा बॉस यहाँ के कुछ लोगों को जापान वाली टीम में शामिल करना चाहता है. उसने मुझे इसके लिये चुन लिया है क्योंकि मैं उन बहुत कम लोगों में से एक हूँ जिसके पास वे सभी योग्यताएँ है जिसकी इस प्रोजेक्ट में जरूरत है. मुझे अगले एक महीने या उससे पहले, लगभग एक वर्ष के लिये जापान जाकर रहना होगा. कंपनी वहाँ मेरे लिए हर तरह की व्यवस्था करेगी.”

"लेकिन क्या तुम्हे नहीं लगता कि एक साल काफी लंबी अवधि है?"

"लेकिन, इस अवधि के दौरान मैं बीच-बीच में कंपनी की जरूरतों के अनुसार अमेरिका और जापान के बीच आ-जा सकूंगी. तब यह ठीक लगता है मुझे.”

"ठीक. चलो देखते हैं कि यह पूरी योजना कैसे पार पड़ती है?”

मेधावी को यह देखकर खुशी हुई कि संस्कार ने उसके जापान जाने का विरोध नहीं किया. वह शायद इस बात से संतुष्ट हो गया था कि मेधावी एक वर्ष के दौरान बीच-बीच में अमेरिका आ सकेगी और इस प्रकार एक वर्ष की अवधि ज्यादा लंबी महसूस नहीं होगी.

मेधावी खुश थी कि आखिर उसे कुछ महीनों के लिये संस्कार से दूरी रखने का मौका मिल गया था. वह उसका निजी जीवन कुछ काल के लिये स्वतंत्रता से जी सकेगी. उसे इसकी सख्त जरूरत थी. उसे उन मुद्दों पर विचार करने की ज़रूरत थी जो उसके और संस्कार के बीच कुछ गंभीर समस्याएँ पैदा कर रहे थे. उसे उन पर स्पष्टता की आवश्यकता थी. उसने सोचा कि यदि वह कुछ समय के लिये वह संस्कार से दूरी बनाकर और एकांत पाकर रह सके तो वह ऐसा कर सकती है.


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