अध्याय ९

केली दूसरे देशों से आकर अमेरिका में बस गए एक दंपत्ति की दत्तक ली हुई संतान थी.

इस दंपत्ति में पति का नाम अरुण था. वह भारत से अमेरिका आया था. पत्नी का नाम यिन था. वह चीन से अमेरिका में आई थी. उन्हें दो वर्ष पहले अमेरिका की नागरिकता मिली थी. जब वे दोनों अमेरिका की एक नामी यूनिवर्सिटी में अनुसन्धान कार्य कर रहे थे तभी उन्होंने शादी कर ली. अमेरिका आने से पहले अरुण दिल्ली में रहता था और यिन बीजिंग में. उनके भाग्य में, भविष्य में किसी दिन, एक दूसरे से मिलना लिखा था वह भी अमेरिका में. और ठीक वैसा ही हुआ.

राष्ट्रीयता, नस्ल, धर्म, जाति इत्यादि मुद्दों पर उनके विचार करीब करीब एक जैसे थे. ऐसे मुद्दे उनके लिए गौण थे. उनकी दृष्टि में महत्वपूर्ण नहीं थे. उनसे उनका कोई सरोकार नहीं था. वे दोनों ही खुले विचारों वाले व्यक्ति थे. उनके लिए इतना काफी था की वे एक दूसरे से प्यार करते थे.

शादी के बाद उन्हें मेडिकल जॉंच के दौरान पता चला कि उन्हें खुद का बच्चा नहीं हो सकता. इसलिए उन्होंने केली को गोद लिया. केली को गोद लेने का अन्य महत्वपूर्ण कारण वह वचन था जो उन्होंने क्रिस्टी को दिया था. उन्होंने क्रिस्टी से वादा किया था कि वे केली को गोद लेंगे.

केली की सगी माँ क्रिस्टी उनकी बहुत अच्छी और करीबी दोस्त थी. वह उनकी सहकर्मी भी थी. जिस विभाग में वे रिसर्च कर रहे थे क्रिस्टी उसी विभाग में काम करती थी. पर दुर्भाग्य से उसकी कैंसर की बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई. होनी को कोई नहीं टाल सकता. मृत्यु के पहले उसने केली को अरुण और यिन को सौंप दिया था उसकी देखभाल करने के लिये. केली उस समय चौदह साल की थी.

इसके कुछ दिनों बाद यिन और अरुण ने केली को गोद ले लिया. इस तरह से वे केली के कानूनन माता-पिता हो गए. 

केली की सगी माँ क्रिस्टी एक अविवाहित अश्वेत (ब्लैक) अमेरिकन महिला थी. वह अनाथ थी और एक अनाथालय में उसकी परवरिश हुई थी. उसके माता-पिता और धर्म का किसे कुछ पता नहीं था. जैसे समय बीता, जल्द ही, वह अनीश्वरवादी हो गई. इसलिए उसने धर्म-वर्म को अधिक महत्व नहीं दिया.

उसका धार्मिक झुकाव तब और भी कम हो गया जब उसके श्वेत मंगेतर ने उसे धोखा दिया. उसने एक जवान लड़की के चक्कर में पड़कर क्रिस्टी को छोड़ दिया था, क्रिस्टी की किसी गलती के बिना.

एक बार क्रिस्टी केली को समझाते हुए बोली थी, “केवल किसी एक संगठित धर्म, नस्ल या जाति से जुड़े रहने से कोई व्यक्ति अनिवार्य रूप से एक अच्छा व्यक्ति नहीं बन जाता. हरेक धर्म में उस धर्म की आज्ञाओं या नियमों के होने के बावजूद अच्छे लोग होते हैं और बुरे लोग भी. ऐसा ही हरेक नस्ल और जाति के लोगों में भी होता है. अच्छे लोग अच्छे ही होते हैं. इसका कारण है उनका मानवता के सही और अच्छे नियमों को मानकर उनका अनुकरण करना, इसके बावजूद कि उनके खुद के धर्म ने बनाये कुछ नियम गलत या अधूरे या खामियों से युक्त हैं. वह सोच समझकर ऐसे नियमों को अनदेखा करते हैं और वे सही दिशा और सही मार्ग पर चल पड़ते हैं.”

क्रिस्टी के मंगेतर के छल-कपट ने उसके दिमाग पर गहरा आघात किया था.

इस घटना के कारण भावनात्मक रूप से आहत बिन-ब्याही माँ ने हमेशा के लिये अविवाहित रहने का फैसला कर लिया. उसने अपना पूरा ध्यान केली को एक आत्म-विश्वासी और आत्मनिर्भर लड़की बनाने में लगा दिया. क्रिस्टी के इसी सपने को पूर्ण रूप से साकार करने के लिये अपनी    माँ की इच्छा के अनुसार केली ने उसके नए माता-पिता द्वारा गोद लेने के बाद भी अपनी स्तानक स्तर की पढाई पूरी की और बाद में पीएच.डी. भी.

जब केली की माँ क्रिस्टी को यह पता चला कि उसे कैंसर हुआ है और वह प्राणनाशक अवस्था तक जा चुका है, तब वह यिन और अरुण के घर जाकर उनसे मिली. यिन और अरुण उसकी बिगड़ती हुई हालत से पहले से वाक़िफ थे.

क्रिस्टी ने कहा, “तुम्हारी अच्छी दोस्त की हैसियत से क्या मैं तुम दोनों को मेरी केली की देख-भाल करने की प्रार्थना कर सकती हूँ? शायद तुम्हारे घर में मेरी यह आखरी मुलाकात हो!” उसने यिन का हाथ अपने हाथों में कसकर पकड़ लिया और आँखों से आँसू बहने लगे.

यिन ने क्रिस्टी का हाथ दबाकर अपनी मंजूरी जाहिर की.

“केली को उसकी स्तानक स्तर की पढाई जारी रखने दो. अंत में उसने पीएच.डी. की उपाधि भी हासिल करनी चाहिये. मेरे जाने के बाद वह अपने बूते पर जी सके इसकी मैं उम्मीद करती हूँ. उसने बौद्धिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से स्वावलम्बी बनना चाहिये. उच्च शिक्षा व्यक्ति को अच्छा बनाती है. तुम दोनों पैसों की और खर्चे की चिंता बिलकुल मत करना. मैंने काफी पैसा जमा कर रखा है. तुम उसके खर्चों के लिये इसका उपयोग करना,” क्रिस्टी ने तहेदिल से यिन और अरुण की विनती की.

उन्होंने क्रिस्टी को उसकी इच्छानुसार केली की देख-भाल करने का वादा किया.

वह उनकी करीब करीब आखरी मुलाकात थी. क्रिस्टी की उसके दफ्तर में उपस्थिति घटती जा रही थी. अरुण और यिन उनकी पीएच.डी. की थीसिस लिखने में बहुत व्यस्त थे. वे क्रिस्टी से कुछेक बार मिले जरूर पर वह भी कुछ पलों के लिये. उनके घर में हुई अंतिम मुलाकात के बाद क्रिस्टी को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. वहाँ उसे पूरा आराम करने की ताकीद दी गई थी और उससे मिलने आने वालों को कुछ पलों के लिये ही मिलने की अनुमति दी जाती थी, वह भी निश्चित दिनों के निश्चित समय में.

क्रिस्टी की मृत्यु के बाद अरुण और यिन ने केली को अपने साथ रहने के लिये मनाया. अपनी माँ की अंतिम इच्छा का आदर करते हुए उसने अरुण और यिन के घर में रहना मंज़ूर किया. उसने पीएच.डी. करना भी तय कर लिया था और उसे हासिल करने के काम में जुट गई. अपने कठोर परिश्रम से उसने केवल तीन वर्षों में ही पीएच.डी. कर ली. उसने यिन और अरुण की गोद ली हुई बेटी बनना स्वीकार कर लिया. वे उसे अच्छे लगने लग गये थे. उसकी सोच के अनुसार वे अति उत्कृष्ट लोग थे.

अब तक केली अपना व्यावसायिक जीवन शुरू करने वाली सुशिक्षित और हर तरह से योग्य महिला बन चुकी थी. उस पर सोने पर सुहागा उसका सौंदर्य था. वह बहुत सुंदर थी. उसके कटीले मुख-नयन-नक्श उसकी माँ पर गये थे. उसका रंग उसकी माँ और पिता के रंगों का एकदम सही मिश्रण था.

सबसे महत्व की बात यह कि वह एक बहुत सुलझी हुई इंसान थी.

तो यहाँ एक ऐसी लड़की थी जो अश्वेत माँ और श्वेत पिता से जन्मी थी और चीनी-अमेरिकन माँ और भारतीय-अमेरिकन पिता द्वारा गोद ली गई थी. ऐसा अद्भुत वाक़या शायद ही विश्व के किसी देश में संभव हो. अमेरिका मात्र एक ऐसा विरला, असामान्य और असाधारण देश हो सकता है.

यह स्पष्ट था कि केली किसी भी संगठित धर्म से नहीं जुडी थी.

एक स्वतंत्र विचारक होने की वजह से अब तक वह इस नतीजे पर पहुँच चुकी थी कि किसी भी संगठित धर्म से जुड़ा रहना उसके दृष्टिकोण में उसके खुद के लिये निरर्थक था. इस इस विषय से सम्बंधित उसके गहन अध्ययन और तीक्ष्ण अवलोकन ने उसे आश्वस्त कर दिया कि कोई भी धर्म उसे उसके मानवीय अस्तित्व को और निखारने के लिए ज्यादा कुछ नहीं दे पाएगा या उसमे कुछ वृद्धि नहीं कर पाएगा. इसाई, हिन्दू, मुस्लिम, यहूदी, बौद्ध, सिख या और कोई लेबल स्वतः को लगाए बिना वह जीने का चरम आनंद अनुभव जो कर रही थी! इसके साथ ही उसके नए पालक उसके किसी भी धर्म से न जुड़ने से विचलित नहीं थे. उनके सुलझे विचार, दिमागी स्पष्टता और उदार मन इस बात को आसानी से स्वीकार कर सकते थे.

अमेरिका में कोई भी उसकी धर्म, नस्ल या जाति विषयक पहचान पूछने, जानने या छान-बीन करने की हिम्मत या जुर्रत नहीं कर सकता था. अमेरिका में १९७० से ही कानून के तहत देश के सभी व्यक्तियों को नस्ल, धर्म, जाति और लिंग के भेद-भाव किये बिना संवैधानिक और न्यायिक रूप से सामान अधिकार और स्वतंत्रता बहाल थे.

तथापि जमीनी तौर पर अमेरिका में दी गई ऐसी समानता वास्तविकता थी क्या, इस बारे में प्रश्न पूछे जा सकते थे, आशंका जताई जा सकती थी. फिर भी कई व्यक्ति, सामाजिक संगठन और संस्थाएँ इसमें पूरा विश्वास करती थीं और इसे प्रमाणिकता से कार्यान्वित करती थीं. इसलिए केली को एक उच्च प्रोफाइल वाला जॉब ऐसी ही एक संस्था में हासिल करने मे कोई ज्यादा दिक्कत नहीं हुई किन्तु वह भी आसान नहीं था. अभी भी सभी को बिना भेद-भाव का और समानता का व्यवहार आसानी से नहीं मिलता था और केली को भी कई बार उस अनुभव से गुजरना पड़ा था.

उसके पिछले चार इंटरव्यूज में इंटरव्यू लेने वालों ने उसकी धर्म और जाति सम्बन्धी जानकारी हासिल करने के लिये प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से छान-बीन की थी. उस समय केली ने उन्हें साफ़ साफ़ पूछा था, “क्या आपको इस प्रकार की निजी बातें पूछने से सम्बंधित देश के संवैधानिक कानून की जानकारी नहीं है?” तब उन्होंने ऐसे प्रश्न पूछना बंद तो कर दिये पर उसे जॉब के लिये नहीं चुना यह कहकर कि उसकी प्रोफाइल जॉब के लिये आवश्यक योग्यताओं से मेल नहीं खा रही हैं. तो इस तरह हमेशा कुछ लोग हर समाज और देश में पाये जाते हैं जो चालाकी से और किसी  उल्टी-सीधी तिकड़म से देश के संविधान का उल्लंघन करते हैं.

अंत में उसे ‘सुपर सॉफ्ट टेक्नोलॉजीज’ में नौकरी मिल गई. यह कंपनी उन इन्टर्व्यूअर्स को अनुपयुक्त जाहिर कर देती थी जो नौकरी के लिये आने वाले उम्मीदवारों से उनकी नस्ल, धर्म, जाति, लिंग या इस तरह की निजी बातें पूछते पाए जाते थे. केली इस संस्था में नौकरी करने के दौरान कंपनी के इस तरह के सारे मूल्यों का सम्मान करने लगी थी.

और उसे सबसे अधिक आदर था उसकी अपनी माँ पर जिसने उसे एक बार कहा था, “तुम्हे इन तीन व्यक्तियोँ का साथ मिलने का सौभाग्य मिला है- एक मैं, तुम्हारी माँ. दूसरा व्यक्ति तुम्हारी होने वाली माँ यिन और तीसरा, अरुण, तुम्हारे होने वाले पिता. तुम इन तीन भिन्न-भिन्न बैकग्राउंड वाले व्यक्तियोँ से कितनी सारी अच्छी और अलग-अलग बातें सीख सकती हो. पर ख्याल रहे कि हमारी और किसी दूसरों की गलत बातों को कभी मत अपनाना.”

केली ने अपनी माँ की इस सीख को हमेशा संजोकर रखा.

उसने खुद से पक्का वादा किया, “मैं माँ की इस सलाह को हमेशा के लिये याद रखूंगी. भले ही वह बात व्यक्ति, संस्था या संगठित धर्म के सन्दर्भ की हो. मुझे अब अच्छी तरह से पता है कि सबकी अच्छाइयाँ आत्मसात करो और सबकी बुराइयाँ ठुकरा दो.”


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