अध्याय १९


पूरी दुनिया में हर टेलीविजन चैनल इस ब्रेकिंग न्यूज का प्रसारण कर रहा था:

"रिक्टर स्केल परिमाण ९ के अब तक के ज्ञात सबसे अधिक शक्तिशाली भूकंप ने छह मिनट तक जापान को झकझोर दिया. यह उन सबसे खराब पाँच भूकम्पों में से एक है जिनके लिखित प्रमाण मौजूद हैं. इस भूकंप का उपरिकेंद्र तोहोकू के ओशिका प्रायद्वीप के लगभग ४० मील पूर्व में है. इसका हाइपोसेन्टर लगभग १८ मील की पानी की गहराई में है.

इंडोनेशिया की सन २००४ की सुनामी के बाद अब इस भूकंप ने सबसे खराब सुनामी की शुरुआत की है. सबसे बड़ी सुनामी लहरें मियाको में लगभग १२० फीट की ऊँचाई तक पहुँच गईं हैं. अधिकांश प्रभावित क्षेत्रों में सुनामी लहरों की औसत ऊँचाई लगभग ३० फीट बनी रही जब तक सुनामी की क्रूरता वहाँ बरकरार रही. लहरें सेंडाई क्षेत्र में भी १० मील से भी अधिक अंदर तक आ गईं जो भूकंप के उपरिकेंद्र से लगभग ८० मील दूर है.

पूरे जापान से बचाव दल और बाकी दुनिया के कुछ लोग प्रभावित इलाकों की तरफ कूच कर रहे हैं. जापान के बाहर से  पहुँचने वाली पहली टीम 'ह्यूमैनिटी फोरम' है. यह अमेरिका के स्वयंसेवकों का एक प्रसिद्ध और सक्षम समूह है.”

केली और शान ‘ह्यूमैनिटी फोरम’ के अन्य सदस्यों के साथ जापान पहुँचे गये थे. एक पूरा हवाई-जहाज ‘ह्यूमैनिटी फोरम’ के कार्यकर्ताओं से भरा था. शान, केली और उनके कुछ अन्य सहयोगियों की टीम को 'ह्यूमैनिटी फोरम' ने बचाव अभियान के लिये सेंडाई क्षेत्र सौंपा.

"तोहोकू, मियाको और सेंडाई ये तीन क्षेत्र सुनामी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. इसलिए इनमे से प्रत्येक क्षेत्र में एक-एक बचाव शिविर यानी कुल मिलाकर तीन बचाव शिविरों की स्थापना एक अच्छा निर्णय है,” केली ने शान के साथ बातचीत करते हुए कहा.

शान ने कहा, "हमारे पास तीन शिविरों को एक साथ स्थापित करने के लिए पर्याप्त उपकरण, तंबू, पानी, ऑक्सीजन, दवाइयाँ और अन्य आवश्यक सामग्री है.”

"और हाँ, हमारे पास डॉक्टरों और नर्सों की एक अच्छी खासी फौज है. इसके अलावा हमारे पास सक्षम बचावकर्ताओं का एक बड़ा दल है. यही तो वे लोग होते हैं जो रण-भूमि पर शत्रु के सामने जाकर लड़ते हैं. इस तरह की भयानक परिस्थितियों में एक सशक्त टीम जिसमे सब तरह के कुशल व्यक्ति शामिल हों बहुत मायने रखती है.”

"अब हम अपनी कमर कस लें और सुबह तीन से बचाव अभियान शुरू करें. हम सभी को अभी कुछ घंटों के आराम की जरूरत है ताकि हम अगले कुछ दिनों के लिए बिना रुके काम कर सकें. इसके लिये हम आपस में बारी-बारी से आराम और काम का कार्यक्रम बना सकते हैं. अब सोएँ? आधी रात बीत चुकी है.”

सोने को जाने से पहले, शान ने भारत में अपने माता-पिता यूसुफ और एलिस को एक ‘ईमेल’ भेजा. "मेरे ‘ह्यूमैनिटी फोरम’ के सहयोगियों के साथ मैं इस वक्त बचाव अभियान शुरू करने के लिए जापान में हूँ. मेरे बारे में चिंता मत करना. हम सभी सुरक्षित हैं. आप दोनों अपना ख्याल रखें.”

......................

उधर सैन डिएगो में संस्कार उस एड्रेस बुक को ढूंढने में लगा था जिसमें मेधावी ने उसके जापान के पते और फोन नंबर लिखे थे. उसकी कंपनी ने उनके कार्यालय से कुछ ही मील के अंतर पर सेंडाई क्षेत्र के एक अपार्टमेंट में मेधावी के रहने की व्यवस्था की थी.

जैसे ही संस्कार ने जापान में सुनामी की भयानक खबर सुनी उसे मेधावी की बहुत चिंता होने लगी. उसे धुंधली सी याद आई. उसे मेधावी ने बताया था कि वह जापान में सेंडाई शहर में रहेगी. इस बात ने उसे और अधिक चिंतित कर दिया. सेंडाई सुनामी द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में सबसे खतरनाक सुनामी क्षेत्रों में से एक था.

फिर भी वह यह सुनिश्चित करना चाहता था कि मेधावी के मुँह से उसने सेंडाई शहर का नाम ही सुना था. उसने मन लगाकर ईश्वर से प्रार्थना की कि उसने मेधावी से जो सुना था वह सेंडाई नहीं था लेकिन वह जापान का सुनामी क्षेत्र से बहुत दूर बसा एक ऐसा शहर था जहाँ सुनामी का बिल्कुल प्रभाव नहीं पड़ा था.

उनके धार्मिक मतभेदों के बावजूद वह मेधावी की परवाह करता था.

वह फोन पर मेधावी से बात करना चाहता था. उसने अपने मोबाइल फ़ोन से मेधावी के मोबाइल फोन पर उसे पहुँचने की कोशिश की लेकिन संपर्क नहीं हो पाया. स्पष्ट रूप से भूकंप और सुनामी के कारण सेल फोन की लाइनें ख़राब हो गई थीं और काम नहीं कर रही थीं.

उसने सोचा कि शायद कुछ चमत्कार हो जाए और लैंडलाइन काम कर जाए. तब वह अपनी लैंडलाइन से मेधावी के मोबाइल से संपर्क कर सकने में सफल हो जाएगा. पर उसे असफलता ही हाथ लगी. अंतिम उपाय था मेधावी की लैंडलाइन पर उससे संपर्क करने की कोशिश करना. पर उसने उसके मोबाइल पर मेधावी का लैंडलाइन नंबर नहीं डाला था. उसे लगा कि शायद उनकी उस एड्रेस बुक में मेधावी का जापान का लैंडलाइन नंबर मिल जाये जिसमे वे अक्सर पतें और फ़ोन नंबर लिखा करते हैं. ऐसा सोचकर उसने पागलों की तरह उस एड्रेस बुक को खोजना शुरू कर दिया. उसे याद आया की उसने एड्रेस बुक को बिस्तर के साथ लगी छोटी मेज पर अपने बेडरूम में देखा था. वह तुरंत बेडरूम की तरफ दौड़ा.

उसे बेडसाइड टेबल पर वह एड्रेस बुक दिखी और उसकी जान में जान आई. उसने उसे मेधावी के लैंडलाइन फोन नंबर का पता लगाने के लिए खोला.

लेकिन वह एड्रेस बुक नहीं थी. वह एड्रेस बुक जैसी दिखने वाली एक दूसरी ही डायरी थी. उसके अंदर फोन नंबर नहीं लिखे थे. इसके बजाय उसमे मेधावी के अक्षरों में कुछ लिखा हुआ था.

पहले पृष्ठ पर मेधावी की टिप्पणी थी उस घटना पर जो उनके घर में हुई थी जब मेधावी की दोस्त अंजली कुछ महीने पहले उनके यहाँ आई थी.

वह मेधावी ने लिखी डायरी को पूरी तरह से पढ़ने लगा.


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